...

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दहलीज़
आसान नहीं होता हैं,
एक लड़की का घर की,
दहलीज को लाँघ जाना,
लाख पहरों की चारदीवारी,
खड़ी मिलती हैं।
भाग जाऊ कहाँ मैं,
जब हर रास्ते पर खड़ें,
चौकीदारों की नजरें,
पकड़ती है।
सास लेने की इजाजत,
भी जब लेनी पड़ें,
समाज के ठेकेदारों से,
वहा कैसे एक लड़की,
तोड़ आये उन हदों की,
चारदीवारी को।
जहा हर उसके फैसले,
दूसरे के काँधे हो,
वाह उसके खुद के, ...