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कोरोना से बचाव
है प्रकृति साक्षात् प्रभु यहाँ,
हर रूप में वंदना करता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ।
कोरोना को दूर भगाता हूँ।

पशु, पक्षी से दया करते सभी,
यही सबको सिखाया जाता है।
अद्वैतवाद को मानते यहाँ,
संस्कृति से गहरा नाता है।
स्वच्छता को अपनाकर यहाँ,
कोरोना भगाया जाता है।
भारत का रहने वाला हूँ।
कोरोना को दूर भगाता हूँ।

तुलसी, लौंग, कोलक सदा,
दालचीनी की चाय पीता हूँ।
पपीता पत्र का रस पीकर,
गिलोय वटी को चबाता हूँ।
नमस्कार माने दुनिया,
आपको भी वही सिखाता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ।
कोरोना को दूर भगाता हूँ।

संक्रमण कोरोना सुरक्षा यहाँ,
आँख, नाक, मुँह को छूना नहीं।
कभी भी आ जाए खाँसी यदि,
हाथ का इस्तेमाल करना नहीं।
कभी बाहर हों तो फेस मास्क,
दालचीनी, कपूर सुरक्षा दे यहाँ
भारत का रहने वाला हूँ।
कोरोना को दूर भगाता हूँ।


वैष्णो खत्री ' वेदिका '
रचना मौलिक एवं स्वरचित व सर्वाधिकार ©® सुरक्षित है।