#खुद से ही हू पूरी...
मैं खुद में पूरी...
जननी हूँ, जीवन भी मैं, जज़्बातों पे मेरा जोर नहीं ।
सशक्त हूँ व साकार भी हूँ मैं, नारी हूँ, कमजोर नहीं ।
दरपन हूँ व अक्स भी मैं, झुका सके मुझे वो शख़्स नहीं ।स्वाभीमानी हूँ व आत्म निर्भर भी मैं, टूट के बिखरूँ अब वो वक्त नहीं ।
नहीं समझना आधी अधूरी, नहीं अधूरी मैं खुद में पूरी ।साथ चलना हो तो हाथ बढाना, पीछे हटना मुझे
मंजूर नहीं ।
© shirri__
जननी हूँ, जीवन भी मैं, जज़्बातों पे मेरा जोर नहीं ।
सशक्त हूँ व साकार भी हूँ मैं, नारी हूँ, कमजोर नहीं ।
दरपन हूँ व अक्स भी मैं, झुका सके मुझे वो शख़्स नहीं ।स्वाभीमानी हूँ व आत्म निर्भर भी मैं, टूट के बिखरूँ अब वो वक्त नहीं ।
नहीं समझना आधी अधूरी, नहीं अधूरी मैं खुद में पूरी ।साथ चलना हो तो हाथ बढाना, पीछे हटना मुझे
मंजूर नहीं ।
© shirri__