...

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याद
करवट बदल बदल कर वो रोई सिसक सिसक कर
घुंघुरू जब पाव के टूटे टूटा दिल तड़प तड़प कर
अधर बैचैन है उसकी बहती आखों से जलधारा
गदगद हुआ मन है उसका रहा हृदय सिमट सिमट कर

करुणामय हाथ स्नेह का फेरा फिर करुण भाव से रोई
कहती कुछ बाते झट पट कुछ बात कहे अटक अटक कर
रात स्वप्न एक ऐसा देखा सपनो में हो मुझको पाया
निद्रा में गाल को चूमा वो रोई गले लिपट कर


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© _Ankaj Rajbhar 🥺