...

4 views

हम शामलात हैं..
कभी हरे भरे मनोहर वन समीप,
कभी रेत मिट्टी के टीले से।
कभी उत्तल, कहीं अवतल ।।
टेढ़े-मेढे से, धूल में सने ।
कहां बदलते हमारे हालात हैं,
हम शामलात हैं, हम शामलात हैं।।

मनुज के पहले , हम साधन हैं ,
जीवन बाद भी , धरा के संग हैं।
जुड़े हुए है कई नियमों से ,
हैं बंधे , दिखते आजाद हैं।
हम शामलात हैं .. हम शामलात हैं ।।

पहले पड़े थे उजाड़ ,अचेत बिना नाम के,
ऊंचे...