🔸आगे बढ़ो🔸
हर ओर से हर राह पे अंधेरा तुझको घेरता,
तब राही तू क्यूं हारकर अपना मुंह है फेरता।
हिम्मत करो आगे बढ़ो हैं मंज़िलें आगे कई,
चीरो अंधेरी रात को फिर आएगी सुबह नई।
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तब राही तू क्यूं हारकर अपना मुंह है फेरता।
हिम्मत करो आगे बढ़ो हैं मंज़िलें आगे कई,
चीरो अंधेरी रात को फिर आएगी सुबह नई।
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