...

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चाहत थी जिसकी
जिसकी चाहत थी एक ज़माने से वो हमदम मुझे मिल गया
बेताब थी जिस चाहत को पाने के लिये वो हसीन चाहत कोई दामन में मेरे भर गया

मूर्जाये हुए फूल मेरी तन्हाई ओ के जैसे आके कोई खिला गया
बेरंग था...