सोच जरा...
रात जितनी लम्बी हो,
सोच भी उतनी गहरा ,
कभी सपने, कभी ख्वाब सताए,
और नैनो में नींद का पहरा,
वक्त अभी बुरा है,
टल जायेगा सोच ले,
सुकून की तलास में,
ना बेचेनियों की तू बोझ ले,
तरास खुद को इस अंधेरे में,...
सोच भी उतनी गहरा ,
कभी सपने, कभी ख्वाब सताए,
और नैनो में नींद का पहरा,
वक्त अभी बुरा है,
टल जायेगा सोच ले,
सुकून की तलास में,
ना बेचेनियों की तू बोझ ले,
तरास खुद को इस अंधेरे में,...