Chand ka chand
देख रहा था रास्ता मैँ, चांद का,
बैठ कर उस ऱोज़, अपनी छत्त पर,
उस रोज़, ज़रा वो देर से आया,
रास्ता देखते- देखते हो गयी थी हद्द पर,
चाँद ने कहा मुझसे, इंतेज़ार था उसे भी,
बहार किसी के आने का,
मेरा इंतेज़ार तूम कर रहे थे,
और इंतेज़ार मैं कर रहा था, चाँद जो था फ़र्श पर
© AQUIB Ashrafi
बैठ कर उस ऱोज़, अपनी छत्त पर,
उस रोज़, ज़रा वो देर से आया,
रास्ता देखते- देखते हो गयी थी हद्द पर,
चाँद ने कहा मुझसे, इंतेज़ार था उसे भी,
बहार किसी के आने का,
मेरा इंतेज़ार तूम कर रहे थे,
और इंतेज़ार मैं कर रहा था, चाँद जो था फ़र्श पर
© AQUIB Ashrafi
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