Khwaab Hai To Kya ...
ख्वाब है तो क्या?
सुबह की हल्की धूप की तरह
आंखों में सिमट गया है जैसे .
शायद मुकम्मल ही कभी वो
ये सोचते हैं हर लम्हा लम्हा.
अक्सर ख्वाब को
हकीक़त बनते देखा है हमने... .
सुबह की हल्की धूप की तरह
आंखों में सिमट गया है जैसे .
शायद मुकम्मल ही कभी वो
ये सोचते हैं हर लम्हा लम्हा.
अक्सर ख्वाब को
हकीक़त बनते देखा है हमने... .
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