...

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बदलाब ,,,
RAAJ PREEET

नारी हूँ मै जीवन हूँ मै
समझो अगर तो गुलशन हूँ मै

दरद हजारों है दिल के अन्दर
मानसून सी सावन हूँ मै

रगों मे वसर हो जो PREEET
आदमी की धड़कन हूँ मै

समस्त ब्रहमांड जिसने चलाया
इस संसार की धरोहर हूँ मै

बचपन जवानी और बुढापे तक
हर किसी पर लगी मोहर हूँ मै

घर है मेरे दो दोनो ही पराये है
PREEET की लिखे जज्बात अब समझ आये है

शान्त मौन ठहराव समन्दर हूं
काया है मिटटी दिल से सुन्दर हूँ मै

दुखो मे पली गमों ने चलना सिखाया
किसी के धोखे ने PREEET मुझे बदलना सिखाया

न किसी प्यार पर प्यार की किताब हूँ
दिल से जो लिखे गये PREEET के शब्द बेहिसाब हूँ मै

खोया मैने बहुत कुछ बहुत कुछ गंवा कर आई
किसी ने नही समझा मुझे अपना हर जगह पराई कहलाई
दो बहने थी साथ रहती बचपन संग बिता कर आई
लड़ना झगडना रूठना मनाना सब कुछ मै अपनाकर आई
उंगली पकड के चलना सिखाया बडी बहन ने कभी मुझको
अलफाज आज भी याद है मुझे बहन ने कहा कभी कुछ ना प्यारी तुझको
PREEET ने महसुस किया फिर लिखा उसने हाल
देख कर मेरी तरफ पुछा आँखे क्यू है आज तेरी लाल
अब PREEET को कया बताऊं अपने दिल का हाल सारा
बडी बहन भी हुई बिमार किस्मत कया तमाचा मारा
जयादा वकत नही हुआ बात को बडी बहन को खो कर आई
बहन आज गुजर गई पिछे छौड सारी तनहाई
गुजरी बहन तो मैने कमरे मे एक तस्वीर लगाई
सुबह सवेरे खयाल उसी के फुलो की माला एक लगाई
अन्दर से PREEET हमेशा रोईं हंसती तो बस बाहरी हूँ मै

हाँ एक नारी हूँ मै ___

माँ बाप को रोता देखा हर हादसा होता देखा
महसुस किया मैने दिल से जो नही सोचा वो था देखा
देखी मैने दुनियादारी जालिम लोग निर्दयी संसारी
एक कोने मे माँ है बैठी एक कोने मे बैठे पापा
सुन बुध कुछ ना बची खो बैठे दोनो अपना आपा
गमों के PREEET बहुत बादल है छाये
उठता है अब यादो का तुफान
रिशतो मे ढालकर जिनदगी
कयो चले जाते है अच्छे इंसान
मनदिर मस्जिद मे कया है रखा
कहाँ सुनता है आजकल भगवान
भरोसा PREEET मै किस पर करूं
हर दिल है यहां बेईमान
यादोँ के सिवा कुछ नही पास मै तो PREEET लाचारी हूं

हाँ मै एक नारी हूं ____/

PREEET ने आगे की कविता अलग लिखी है
अपनो की बाते बहुत तिखी है
माँ के जैसा प्यार नही कोई
अपनो सा संसार नही कोई
गमों का खरीददार नही कोई
ईमानदारी सा व्यापार नही कोई
बसन्त सी बहार नही कोई
लडकियों सा लाचार नही कोई
आसूँऔ सा PREEET हथियार नही कोई
इश्क सा PREEET बिमार नही कोई
दुखो सा यार नही कोई
जिन्दगी सा बेकार नही कोई
दोस्त चाहिए एक हजार नही कोई
PREEET अपनी तो दिलरुबा सरकार नही कोई
किसी के आने सा इंतजार नही कोई
यादोँ सा PREEET गुलजार नही कोई

_____/

बचपन की बातें याद बहुत है
आज माँ के बाद बहुत है
हंसता रहता था PREEET
बहुत कुछ कहता था PREEET
माँ ने सम्भाला मुझे हर पल
वो तो था बिता हुआ कल
जब भी मै बिमार हुआ था
माँ का बिखरा संसार हुआ था
आँचल तले फिर रखा माँ ने
पाल कर काबिल बनाया
बहन के बाद PREEET ने
अपनी माँ का हाल सुनाया
आया बुढापा लग गई भयानक बिमारी
माँ को अकेले न सम्भाल पाया
हर जगह दिखलाया न हुआ निवारण
माँ भी चल बसी कैंसर के कारण
PREEET अब अकेला रह गया
जो नही कहना था वो कह गया
____

किसी का दुख PREEET ने जब भी देखा
कयो मिलती नही खुशियों की रेखा
महसुस तो हम सब करते है
पर चाहकर भी कुछ कर नही सकते
विधि का जो विधान है दोस्त
उसको हम बदल नही सकते
✍✍✍

वो है अनजान तो के सै समझाऊँ
मै तो बस लिखता जाऊं
जिन्दगी अपनी अच्छे से जियो
आसूँऔ से जिन्दगी सरोबार न करो
जो होना है वो होता ही है
बैठकर गुजरे इंसान का इंतजार न करो
PREEET इतनी सी है दुआ हमारी
हमारी भी उम्र लगे तुम्हे प्यारी
✍✍✍
© आवारा पागल दीवाना