दर्द
चुप चुप होकर सह रही थी।
खामोसियो मे ही रह रही थी।
ना जाने कैसी रात आई।
उस शक्स की आचानक बात आई।
सोचने पे मजबूर किया।
ना जाने क्यों मुझको दूर किया।
उसके लफ़्ज़ों से ब्या हुआ।
माफ़ करना आज तुझपे दया हुआ।
...
खामोसियो मे ही रह रही थी।
ना जाने कैसी रात आई।
उस शक्स की आचानक बात आई।
सोचने पे मजबूर किया।
ना जाने क्यों मुझको दूर किया।
उसके लफ़्ज़ों से ब्या हुआ।
माफ़ करना आज तुझपे दया हुआ।
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