दर्द
चुप चुप होकर सह रही थी।
खामोसियो मे ही रह रही थी।
ना जाने कैसी रात आई।
उस शक्स की आचानक बात आई।
सोचने पे मजबूर किया।
ना जाने क्यों मुझको दूर किया।
उसके लफ़्ज़ों से ब्या हुआ।
माफ़ करना आज तुझपे दया हुआ।
खामोस होकर रह गई।
चुप होकर सह गई।
कुछ देर बाद ज़िक्र किया।
ना जाने क्यों आज फिक्र किया।
सहा ना गया उसकी फिक्र।
मैंने भी फिर ज़िक्र किया।
की उस दिन क्यों नहीं ब्या किया।
माफ करके क्यों ना दया किया।
उस दिन मेरी गलती क्यों नही सह लिया।
साथ साथ क्यों नही रह लिया।
अब छोड़ो उस बात को ।
अब ज़िक्र ना करो उस रात को।
_ardhu
खामोसियो मे ही रह रही थी।
ना जाने कैसी रात आई।
उस शक्स की आचानक बात आई।
सोचने पे मजबूर किया।
ना जाने क्यों मुझको दूर किया।
उसके लफ़्ज़ों से ब्या हुआ।
माफ़ करना आज तुझपे दया हुआ।
खामोस होकर रह गई।
चुप होकर सह गई।
कुछ देर बाद ज़िक्र किया।
ना जाने क्यों आज फिक्र किया।
सहा ना गया उसकी फिक्र।
मैंने भी फिर ज़िक्र किया।
की उस दिन क्यों नहीं ब्या किया।
माफ करके क्यों ना दया किया।
उस दिन मेरी गलती क्यों नही सह लिया।
साथ साथ क्यों नही रह लिया।
अब छोड़ो उस बात को ।
अब ज़िक्र ना करो उस रात को।
_ardhu