मुख्तलिफ कोशिशें
दरारें जो कभी भरती नहीं
वक़्त के साथ बढ़ती जाती है
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
कुछ चुनिंदा अशारों में दिल का संदेसा था
पर शायद हरफ़ नाक़ामियाब रहें
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
बस इज़हार की देर थी और हम लड़ पड़े
ऐसे कि अब पुर्सिश-ए-हाल तक नहीं पूछ पाते
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
फ़ासलों से कुछ पहले से ही राबता है हमारा
चाहें भी तो भी मिटा नहीं पाते
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
उम्र-दराज़ एक कमरा है बिखरा पड़ा
उम्र गुज़र गई कुछ भी समेट ना सकें
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
बस इन दरारों को देख कर ख़ुद को कोसते है
दिल करता है वापस लौट आए मगर आ नहीं पाते
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
© Pavan
वक़्त के साथ बढ़ती जाती है
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
कुछ चुनिंदा अशारों में दिल का संदेसा था
पर शायद हरफ़ नाक़ामियाब रहें
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
बस इज़हार की देर थी और हम लड़ पड़े
ऐसे कि अब पुर्सिश-ए-हाल तक नहीं पूछ पाते
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
फ़ासलों से कुछ पहले से ही राबता है हमारा
चाहें भी तो भी मिटा नहीं पाते
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
उम्र-दराज़ एक कमरा है बिखरा पड़ा
उम्र गुज़र गई कुछ भी समेट ना सकें
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
बस इन दरारों को देख कर ख़ुद को कोसते है
दिल करता है वापस लौट आए मगर आ नहीं पाते
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
© Pavan