मुख्तलिफ कोशिशें
दरारें जो कभी भरती नहीं
वक़्त के साथ बढ़ती जाती है
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
कुछ चुनिंदा अशारों में दिल का संदेसा था
पर शायद हरफ़ नाक़ामियाब रहें
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
बस इज़हार की देर थी और हम लड़ पड़े
ऐसे कि अब...
वक़्त के साथ बढ़ती जाती है
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
कुछ चुनिंदा अशारों में दिल का संदेसा था
पर शायद हरफ़ नाक़ामियाब रहें
मुख़्तलिफ़ कोशिशों के बाद भी
बस इज़हार की देर थी और हम लड़ पड़े
ऐसे कि अब...