...

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बढ़ता चल
सूर्य के किरणों सी आंखों में ये चमक,
आसमान से ऊंची तेरी ये लगन ।
तेरी मेहनत के आगे तो किस्मत भी हो जाए नतमस्तक,
तू बहता चल जैसे मलय पवन।।

इस हार के आगे ना पैर थाम,
अरे ! किसके जीवन में नहीं होती है शाम ।
अभी खोई नहीं तूने अपनी पहचान, अपने लक्ष्य का भी तू स्वयं लेगा इम्तिहान।।

हारकर अगर तू खुद को कोसता है,
अच्छी किस्मत के लिए रोता है
इन अदृश्य बाधाओं को टोकता है,
तू खुद से स्वयं को खोता है।।

इन अड़चनों में वो ताकत नहीं,
हिला दे तुझे तेरे लक्ष्य से कहीं ।
अरे बन तो तू एक काबिल राही,
तू भी खिल उठेगा बनकर एक सुंदर कली ।।

ना मुड़ कर देख अपना कल,
तू अवश्य पाएगा अपनी मेहनत का फल ।
तू बस निरंतर आगे बढ़ता चल,
तू बस निरंतर आगे बढ़ता चल।।