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अफ़वाओं की क़ीमत


अफ़वाओं की क़ीमत उनसे पूछो
जो ये चुकाते है
बिना बात के बतंगड बनाकर,
लोगों को भरमाते है।

आज के दौर में ये आम बात हो गई है,
किसी की सफलता पे जलन होती है,
तो वहाँ अफ़वाह कोई ऐसी फैला देते है,
जिसे सुनकर वो व्यक्ति भी निराश होता है।

अफ़वाह चाहे जितनी भी सुनने को मिले,
आप उसे अपने मन पे ना ले ,
अपनी मंज़िल की और हिम्मत से बढ़ते रहे,
अफ़वाह की क़ीमत वो ख़ुद ही चुकाएगा।

निशा शेठ


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