...

15 views

याद आती है : love to the nature
वो झरने जिसमें तुम अपने केशो को धोया करती थी।
वो पहाड़ जिसपे हम चढ़ कर घंटो मीठी बाते किया करते थे।
वो टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियां जिसपे हम मिलो पैदल चला करते थे।
वो कोयल की कु - कु जिसके साथ हम भी गुनगुनाया करते थे।
वो रात के अंधेरे में टिम टिमाते तारों को निहारा करते थे।
वो ठंडी झील जिसमें डुबकी लगाया करते थे।
याद आती है वो सारे लम्हे जो तेरे संघ इस प्रकृति के गोद में बिताए थे।
पर क्या पता था ये प्रकृति इस कदर हमसे रूठ जाएगी कि हम अपने ही बनाए चारदीवारी के भीतर केद हो जाएंगे और जीवन के वो खट्टे मीठे लम्हे हमें याद आएंगे ।

धन्य वाद दोस्तो ये कविता पढ़ने के लिए ।
और आप को केसा लगा ये कविता comments के माध्यम से जरू बताईए गा।
और हां दोस्तों एक बात और याद रखिए गा।

"Save nature save future."

फ्रेंड्स ये कविता प्रकृति को समर्पित है।
आप को केसा लगा जरूर बताईए गा ।
धन्य वाद ।🙏
© Ajit Narayan Sharma