...

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डर प्रेम से
यहां दिल सोच रहा मेरा मगर ये हाथ न लिखे
सहम कर बैठी है लेखनी ये कोई जज़्बात न लिखे
कि कोरे कागज़ पर मेने चाहा था ल्वज़ लिखे दिल
कही तू दूर हो ना जाए यही सोच दिल बात न लिखे

हुए है मौन अधर मेरे रहे है झुके नयन मेरे
कहे मेने कोरे कागज़ पर श्वेत स्याही से लिख लिख कर
दिल की हर सारी बात कहे अब जो लिखे है कागज़ पर मेने
कि तुझको ध्यान में रखकर ये कलम टेढ़ी कोई बात न लिखे