//ग़ज़ल// बह्र-२१२२ १२१२ २२/११२
कौन है जो सुखी है दुनिया में
दूर सबसे ख़ुशी है दुनिया में
पोंछता क्यों नहीं कोई आँसू
इक नदी बह रही है दुनिया में
कौन अपना है और पराया कौन
ज़िन्दगी ढूँढती है दुनिया में
आदमी आदमी का दुश्मन है
आग कैसी लगी है दुनिया में
जो समझ ले कहे बिना सब कुछ
एक माँ ही बची है दुनिया में
भूखे बच्चे पे है नज़र गिद्ध की
किस क़दर भुखमरी है दुनिया में
देखकर क्यों लगे मुझे ऐसा
अब न मेरा कोई है दुनिया में
आँख तेरी भी नम हुई 'बिंदास'
सोच क्या बेबसी है दुनिया में
© ✍️शैलेन्द्र 'बिंदास'
दूर सबसे ख़ुशी है दुनिया में
पोंछता क्यों नहीं कोई आँसू
इक नदी बह रही है दुनिया में
कौन अपना है और पराया कौन
ज़िन्दगी ढूँढती है दुनिया में
आदमी आदमी का दुश्मन है
आग कैसी लगी है दुनिया में
जो समझ ले कहे बिना सब कुछ
एक माँ ही बची है दुनिया में
भूखे बच्चे पे है नज़र गिद्ध की
किस क़दर भुखमरी है दुनिया में
देखकर क्यों लगे मुझे ऐसा
अब न मेरा कोई है दुनिया में
आँख तेरी भी नम हुई 'बिंदास'
सोच क्या बेबसी है दुनिया में
© ✍️शैलेन्द्र 'बिंदास'