...

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अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
#स्वीकार
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते,
सिर्फ कहानियों में होते हैं फरिश्ते,

जब से मैं इस दुनिया में आए,
मुझे परिवार का बोज बताया गया,
मैं हूं पराये घर की,
यह बात हमेशा जताया गया,

थोड़ा कम खाया करो
बाहर अकेली न जाए करो
सर पर चुनर लो
ऐसी बातें मुझे कई बार सुनाई गई

जब भी मैंने पढ़ाई की ज़िद की
सबका ख्याल रखो, खाना बनाना सीखो,
थोड़ी जिम्मेदार बनो घर के सारे काम करो,
मेरी जगह हमेशा यही दिखाई गई,

जब मैं हुई 18 बरस की मुझे यह बात समझाई गई,
एक दिन होगी मेरी विदाई
दहेज के बदले ले जाएगा,
एक अनजान मुझे अपने संग,

जो मुझे बताया और समझाया गया,
मेरा सच था उसे बिल्कुल अलग,
लगा हैं कोई सपना सुहाना,
किसी परियों की कहानी सा,

अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते,
सिर्फ कहानियों में होते हैं फरिश्ते‌।

© Hidden Writer