...

3 views

मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
पर वस्त्र के बिना कहाँ बदन पुरी है ,
तुम मांग करो वह जरूर पुरी है ,
बिन मांगे सब कुछ अधुरी है ,
जंग व प्रेम में जायज सब कुछ है ,
हर जीवन के कई कई दुख सुख है,
तुम जो चाहो वह मांग सकते हो ,
ना मांगो तो उसको जान सकते हो ,
प्रेम का बलिदान देना कहाँ तक ऊचित है ,
जो ना कर सको जीवन में उसका क्या औचित्य है ,
© ✍️ विश्वकर्मा जी