ऐ कलम
अगर सब लिखें कादम्बरी बन जाएगी
सब की पसंद और नापसंद बन ज यह लेखन जीवन है,समझ कम ही कोआएगी
तुम धीमे चलना ऐं कलम,छांटने की कला भी आएगी।।
सब की पसंद और नापसंद बन ज यह लेखन जीवन है,समझ कम ही कोआएगी
तुम धीमे चलना ऐं कलम,छांटने की कला भी आएगी।।
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