साहिबा ।
क्या तलब है की आंख खुलते ही मयखाने नजर जाते हैं।
जो रात में आए याद तो पैमाने झलक जाते हैं।
उनकी आंखों का नशा क्या कहिए।
उनकी बातों की जफा क्या कहिए।
उनकी सूरत का नूर क्या कहिए।
अदाओं...
जो रात में आए याद तो पैमाने झलक जाते हैं।
उनकी आंखों का नशा क्या कहिए।
उनकी बातों की जफा क्या कहिए।
उनकी सूरत का नूर क्या कहिए।
अदाओं...