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लक्ष्य
""""#लक्ष्य_""""

ज़िद्द थी मंज़िल हासिल करने की,
देखे थे जो ख़्वाब उनको पूरा करने की।

फिर क्या था कमर मैंने कस ली थी,
सिर्फ़ लक्ष्य पर यह आँखें गढ़ ली थी।

भूल गई मेरे आसपास क्या हो रहा है,
न जाने कब दिन कब रात हो रहा है।

जान चुकी थी मैं मंज़िल आसान नहीं,
बिना मेहनत मिलता कोई परिणाम नहीं।

सबसे पहले मैंने अपने मन को समझाया,
लक्ष्य केन्द्रित कर अपना दिमाग़ लगाया।

बीच बीच में गाने सुनकर टेंशन दूर भगाया,
घरवालों ने भी अपना पूरा फ़र्ज़ निभाया।

मेहनत की जमकर खूब पसीना बहाया,
आख़िर में परिणाम मेरा सुखद बन आया।

देखा था जो ख़्वाब हक़ीक़त बनके आया
कड़ी मेहनत ने ही चिकित्सक मुझे बनाया।

यदि करना हो कुछ हासिल सब भूल जाओ
कड़ी मेहनत के साथ लक्ष्य पे आँख लगाओ।
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