लक्ष्य
""""#लक्ष्य_""""
ज़िद्द थी मंज़िल हासिल करने की,
देखे थे जो ख़्वाब उनको पूरा करने की।
फिर क्या था कमर मैंने कस ली थी,
सिर्फ़ लक्ष्य पर यह आँखें गढ़ ली थी।
भूल गई मेरे आसपास क्या हो रहा है,
न जाने कब दिन कब रात हो रहा है।
जान चुकी थी मैं मंज़िल आसान नहीं,
बिना मेहनत मिलता...
ज़िद्द थी मंज़िल हासिल करने की,
देखे थे जो ख़्वाब उनको पूरा करने की।
फिर क्या था कमर मैंने कस ली थी,
सिर्फ़ लक्ष्य पर यह आँखें गढ़ ली थी।
भूल गई मेरे आसपास क्या हो रहा है,
न जाने कब दिन कब रात हो रहा है।
जान चुकी थी मैं मंज़िल आसान नहीं,
बिना मेहनत मिलता...