...

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अभिशाप से मिला मोक्ष वरदान।। भाग२
ऐसे करके
उस नायिका
चंद्रवती को नायक कृशनान्द के प्रभाव से मुक्ति मिल गई।।
इच्छा का नाश कर ,
अपनी योनि तथा चूत में लन्ड से प्रेम स्पर्श पाकर,
अपनी चीखें,
उह आह आह ओह उफ आह आह से रोमांच भरकर।।
श्री हरि विष्णु संग किन्नरवी का स्थान पाकर ,
ये!
एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में एक ज्योति उजागर कर एक नई पहल और नाई मिशाल बनकर एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त रच कर यह बताती है कि एक स्त्री और पुरूष काभी कोई संबंध कायम कर ही नहीं सकते ।।
वे सिर्फ जर्मभोग की प्राप्ति हेतु यौन कार्य करते हैं ना की वे आत्मसमर्पण होकर संभोग करते हैं।
मगर देखा जाए तो सभोग करना इच्छा है इसलिए जहां कोई इच्छा वास करें वहां प्रेम काभी संभव नहीं हो सकता।।वे सिर्फ समझौता करते हैं अर्थ और जर्म का शरीर द्वारा।।वे सिर्फ समझौता करते हैं मगर श्री नारायण ऐसे हैं जो , जो समस्त जन के लिए न्याय करते और सबको एक सामान्य जांचते और फरखते हुऐ अलग अलग कर्म के अनुसार योनि प्रदान करते हैं। मगर अन्त में सिर्फ वही है जिसकी अग्नि काभी समाप्त नहीं हो सकती है , जो काभी सून्य नहीं होता आहुति कुंड ही बना हुआ है इसके अनन्त बनकर चलने का मुख्य कारण तथा इसलिए यह गाथा अनन्त काल तक अनन्त रहेगी।।
#आहुतिका।।
#बैकुंन्डी
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