हँसते ज़ख़्म.........
बेवफ़ाई के किस्से तुम्हें सुनाऊँ क्या,
कैसै उजड़ती है दुनिया बताऊँ क्या,
दर्द भी बन जाते हैं ज़रिया-ए-सुकून,
और हँसते ज़ख़्म तुम्हें दिखाऊँ...
कैसै उजड़ती है दुनिया बताऊँ क्या,
दर्द भी बन जाते हैं ज़रिया-ए-सुकून,
और हँसते ज़ख़्म तुम्हें दिखाऊँ...