...

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मन....💤💤
मन,तू घूम रही है कहा ??
चल अब बहुत हुआ,
अब इधर आ !

ना लघु तू, ना पर्वत है,
फिर तुझसे डरें क्यों ??
जीवन की ना समझ तुझे,
अब बहुत हुआ,
अब इधर आ !

कागज़ पर लिखी लेख हैं क्या तू ?
या शब्दो में बोली वाणी है,
या लहरों में खोई आशा है,
या गुम रही पवन में तू ,
अब बहुत हुआ,
अब इधर आ !

बता हमें, तू है क्या ?
आख़िर क्यूँ परेशान रहते हैं तुझसे ?
क्या वेग है तू धारा है ?
या ब्रह्मांड की कोई शक्ति है,
जीवन की कितनी समझ है तुझे ?
बता हमें, अब इधर आ !

न अल्पविराम (,) है न पूर्णविराम (.)
फिर क्या है तू ???

बता हमें, अब इधर आ !

~ Surabhi Mishra