...

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फिर वही सवेरा
#घरवापसीकविता
दिल में एक उमंग जगी
फिर वही सवेरा हो
बचपन का वही कमरा वही शहर हो
खिड़की में झांकता सूरज का नशा हो
कलियों से खिलते फूलों पर भवरों की गुंजन हो
ठण्डी पुरवाई में घुलती साँसों की महक हो
कमरे से बाहर कोई इंतज़ार हो,
बचपन का वही कमरा वही...