// मन की बेचैनी//
ख्यालों की दुनिया में आत्मा की उपज,
किसी को देखने की तड़प,
किसी को कुछ कह देने एवं सुन लेने की ललक,
बढ़ा देती हैं अक्सर मन की बेचैनियाँ।
आँखे न जाने किसकी दीदार को तड़पती है
कश्क उठती दिल के अंदर, खो जाती रातों की नींदें,
बेबस होता है मन तब गिरते हैं तकिए पर आँखों...