कब्र पे खिला हूं एक राह बना हूं
क़यामत सा गम के छलर्ले पे सोया हूं
मैं राख में मलिन एक तन्हां रात देखता हूं
तेरे अजमत के काबिल हो कभी मेरे वजूद
मैं अश्कों में...
मैं राख में मलिन एक तन्हां रात देखता हूं
तेरे अजमत के काबिल हो कभी मेरे वजूद
मैं अश्कों में...