रिहाई
बदरी बदरी मौसम सी,
जीवन की परछाईं
मद्धम मद्धम सावन सी
आंखों में समाई
बरसी नदियां आंखों से
भींग गई, दुहाई
ओ माझी,
उस पार खड़ा क्यों
इस पार है तेरी...
जीवन की परछाईं
मद्धम मद्धम सावन सी
आंखों में समाई
बरसी नदियां आंखों से
भींग गई, दुहाई
ओ माझी,
उस पार खड़ा क्यों
इस पार है तेरी...