...

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कसौटी
रख के शर्तें किया प्यार ,
तो क्या ख़ाक प्यार किया,
ज़ख़्म पर हो मरहम सा ,
जले जो प्यार का दिया ॥
नादान हैं वो जो हक़ मानते हैं,
पाने का एहसास नहीं,
खुद को भूल इश्क़ जो करें ,
वो ये हक़ीक़त जानते हैं..
दो दिलों का मिलना ,
इक पाक इबादत सा …
ना रहे तेरा ना मेरा ,
वजूद एक ही मोहब्बत का।
किरदार हों भले ही अलग ,
रंग एक ही इसकी फ़ितरत का …
ग़र जो मिला नहीं ,
फिर भी कोई गिला नहीं..
नसीब अपना अपना ,
इश्क़ का इसमें क़सूर नहीं ..
आसान कहाँ प्यार की ये कसौटी ,
प्यार की उम्र तो दो पल भी
सदियाँ सी होती ॥
जिये वही एहसास को ,
शिकवों से इतर ,
जिसने निश्छल प्रेम किया ,
कुछ पाने की उम्मीद नहीं।






© @mishti86