कहां गया इस शहर का सुकून
#खोईशहरकीशांति
कदम पड़े जो इस शहर की मिट्टी पर
तो पता चला ये भी बेजान सी है।
कभी प्रकृति की शान सी हुआ करती थी
आज ये इंसान सी है।
जहां घंटो बैठ मन को टहलाया करते थे
वहा बेशकीमती गाड़ियों का तांता लगा है आज।
हम तो पराया महसूस करने लगे वो अलग बात है
ये मिट्टी भी आज यहां मेहमान सी है।
नाजाने कौन चुरा ले गया इस शहर की शांति।
ये तो आज शकल से ही परेशान सी है।
कदम पड़े जो इस शहर की मिट्टी पर
तो पता चला ये भी बेजान सी है।
कभी प्रकृति की शान सी हुआ करती थी
आज ये इंसान सी है।
जहां घंटो बैठ मन को टहलाया करते थे
वहा बेशकीमती गाड़ियों का तांता लगा है आज।
हम तो पराया महसूस करने लगे वो अलग बात है
ये मिट्टी भी आज यहां मेहमान सी है।
नाजाने कौन चुरा ले गया इस शहर की शांति।
ये तो आज शकल से ही परेशान सी है।