...

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अनजान शायारा
वो दिन आज भी याद है
एक अनजान शायारा का नाम है
उस पर कंठित ये काव्य है..!!

शुरू से ही वो बातूनी है
बिन ब्रेक की गाड़ी है
बिना रुके वो चलती है
फिर लगती प्यारी है
उसके लेख बहुत न्यारे है
जो मैंने दिल में उतारे है..

हुनर उसमे बहुत सारे है
दर्द कई कला में उतारे है
इसीलिए हम दिल हारे है,
और वो कहीं दिल हारी है
तभी दोनों ही लिखते है
दर्द से भरी गम की शायरी है..

पहले तो हम उसके
शब्दों से घायल है
और अब तो हम उसकी
अदाओं के भी कायल है
दिल की हार ने शयारा बनाया है
तभी उसने इतना सितम धाया है...

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