...

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दर्द का अफ़साना।
मैं अपने दर्द को अफ़साना बना लाया हूँ,
अपने हर ज़ख़्म को सीने में छुपा लाया हूँ।

देख तेरे रूह की इबारत पढ़ने को,
आँखों पर आँखें सजा लाया हूँ।

देखो तो ज़रा जज़्बा मेरे इश्क़ का,
लहू से मैं तेरी तस्वीर बना लाया हूँ।

तुझसे मैंने अपने नाते सारे तोड़ तो दिए,
लेकिन तुझें अपनी आँखों में बसा लाया हूँ।

बिना सपनों की नींद अच्छी नही होती,
इसलिये यादों में तेरे सपने सजा लाया हूँ।

मैं अपने दर्द को अफ़साना बना लाया हूँ,
अपने हर ज़ख़्म को सीने में छुपा लाया हूँ।

Rohit Upadhye...❤️