...

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~●नारी की है पहचान क्या●~
प्रकृती के कुछ नाम है जिनसे कुछ जन अंजान है,
प्रत्येक जीवन की एक धार है जिसमे एक शक्ती ही आधार है।।

वो क्या है ना जो बोलते ,
जो हर बात को है तोलते ।
इस मोल तोल की दुनिया मे ,
इंसानियत को है छोड़ते।।

कुछ मात्र शब्द के प्रचार मे ,
खोखले रीतियो के दबाव मे ,
तो कभी अहंकार के बहाओ मे ,
हर रोज़ है ये बोलते नई नई है बोलियाँ।
बात ये है कुछ नई नही ,
सदियो से जो बनता रहा मुद्दा यही ,
नारी की है पहचान क्या,उसका है योगदान क्या।।

नारी से ही जन्मा यहीं,
उसी नारी से ही बुद्धि मिली ।
शक्ती का जो रही आधार है वो ,
हर रूप मे साकार है जो ।।
जो कल तक चली थामे उँगली तेरी,
एक बार तू हौसला दिखा उसे ।
हमारे वेद,पुराण,ग्रंथो मे प्रकृती महाशक्ती स्वरूप वही ,
उसकी मुस्कान सी सजेगी फिर दुनिया नई,दुनिया नई ।।

मानवता के इस विकास ने ,
कुछ सपनो को है साकार किया ।
परिवर्तन के इस चक्र ने ,
नई...