दहेज....
बेवसी उस बाप की बेटी नही ब्याही गई।
मेहंदी का रंग ना चढ़ा सुनी हथेली रह गई।
पगड़ी उतारी बाप ने सम्मान से अपमान में।
क्या कमी आई ब्याह में दहेज के प्रावधान में।
वो मांग सुनी रह गई अरमान आँशु में बहे।
बेटी नही अपमान है ये बाप बेवस हो कहे।
पीड़ा उठी है हृदय में माँ का कलेजा फट गया।
ना बस सका बेटी का घर लालच गरीबी से कह गया।
सृंगार से मुखड़ा सज़ा उम्मीद थी पिया मिलन की।
मंडप सजाया भाई ने लालच में मंडप जल गया ।
ताना सुना उस बाप ने कदमो में सर को झुका दिया।
बढ़ गया लोभ दहेज का नारी पवित्रता गिरा दिया।
सब दे रहे...
मेहंदी का रंग ना चढ़ा सुनी हथेली रह गई।
पगड़ी उतारी बाप ने सम्मान से अपमान में।
क्या कमी आई ब्याह में दहेज के प्रावधान में।
वो मांग सुनी रह गई अरमान आँशु में बहे।
बेटी नही अपमान है ये बाप बेवस हो कहे।
पीड़ा उठी है हृदय में माँ का कलेजा फट गया।
ना बस सका बेटी का घर लालच गरीबी से कह गया।
सृंगार से मुखड़ा सज़ा उम्मीद थी पिया मिलन की।
मंडप सजाया भाई ने लालच में मंडप जल गया ।
ताना सुना उस बाप ने कदमो में सर को झुका दिया।
बढ़ गया लोभ दहेज का नारी पवित्रता गिरा दिया।
सब दे रहे...