...

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वह दवा थे, अब हवा हो रहे है।
वह अनजान राहें है जब एक हो गई।
अनजाने चेहरों की देखा देख हो गई,
कुछ था जो उसमें मुझे भाने लगा था,
मेरी हर समस्या का हल उसे आने लगा था,
यूं ही कभी दिल जब मायूस होता था,
उस राह का कांटा जब मुझे अपनी नोक चुभोता था,
वह यार मेरा था जो मुझे तसल्ली था दिलाता,
खुशियों का अपना घूंट मुझे झट से पिलाता,
लेकिन यह दिन महीने और खामोश दूरियां चीख चीख कर कह रहे है,
यह दिन, महीने, साल अब स्वयं गवाही दे रहे है,
*अब "मेरे दोस्त–यार" जो कभी दवा थे, अब हवा हो रहे है।*



जिससे कभी दुश्मनी थी वह अपना यार हो गया,
जो फूटी आंख न सुहाता वह रोज का दीदार हो गया,
वह जब अपने घर नहीं रहता फोन मेरे घर आता था,
अरे वह अपने घर से ज्यादा मेरे संग वक्त बिताता था,
हम एक दूसरे की फेक – फाक के झेलने वाले थे,
मुलाकात का बहाना हो बस इसलिए खेल खेलने वाले थे,
वह हमारी...