दुख कहां से आते हैं
खुशियों की इस दुनिया में,
दुख कहां से आते हैं।
सुखों की इस दहलीज पर,
ग़म छोड़ जाते हैं।
मुस्कान भरे चेहरे पर,
उदासी दे जाते हैं।
खुशियों की इस दुनिया में,
दुख कहां से आते हैं।
कोई हंसना भी चाहे,
उसे रूला जाते हैं।
खुशियों की इस दुनिया में,
दुख कहां से आते हैं।
ग़म में घिरे इन्सान,
सब भूल जाते हैं।
हंसना भी चाहे वो,
पर हंस नहीं पाते हैं।
खुशियों की इस दुनिया में,
दुख कहां से आते हैं।
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दुख कहां से आते हैं।
सुखों की इस दहलीज पर,
ग़म छोड़ जाते हैं।
मुस्कान भरे चेहरे पर,
उदासी दे जाते हैं।
खुशियों की इस दुनिया में,
दुख कहां से आते हैं।
कोई हंसना भी चाहे,
उसे रूला जाते हैं।
खुशियों की इस दुनिया में,
दुख कहां से आते हैं।
ग़म में घिरे इन्सान,
सब भूल जाते हैं।
हंसना भी चाहे वो,
पर हंस नहीं पाते हैं।
खुशियों की इस दुनिया में,
दुख कहां से आते हैं।
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