ग़ज़ल - वज़्न - SlS SlS SlS SlS
पाँच शे'रों की करती सवारी ग़ज़ल
चढ़ रही है ज़ुबाँ पे हमारी ग़ज़ल
बस तसव्वुर में गोते लगाते हुए
कोरे पन्नों पे मैंने उतारी ग़ज़ल
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चढ़ रही है ज़ुबाँ पे हमारी ग़ज़ल
बस तसव्वुर में गोते लगाते हुए
कोरे पन्नों पे मैंने उतारी ग़ज़ल
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