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हाथों_की_लकीरें.............✍🏻
हाथों की लकीरें कुछ बातें करती है
मुझसे ये अक्सर मुलाक़ातें करती है
क़िस्मत के तमाम तमाशे यूं दिखा गई
कोरी हथेली पे कुछ करामातें करती है

ज़िंदगी का फ़लसफ़ा इन लकीरों में बसा
कुछ बिगड़ती तक़दीर की बातें करती है
पल पल का इक हिसाब हाथों की लकीरें
ना जाने क्यों ये लकीरें आफ़ातें करती है

हाथों में ही कहीं उलझीं है तो कहीं सुझली
ये आड़ी तिरछी लकीरें क्या ख़बरें करती है
सुना है क़िस्मत का लिखा हुआ लकीरों में
बढ़ती हुई लकीरें तमाम अफ़्वाहें करती है

यूं ही नहीं मेरी हाथों की लकीरें खेल कर गई
कभी किस्मत के किस्सों की सौग़ातें करती है
हाथों की लकीरें अफ़्सानों का ज़िक्र उठा गई
ये उभरती हुई लकीरें क्यों इतनी बातें करती है

लकीरों की कहानी ज़िंदगी के सफ़र से रंग गई
ख़ामोशी से बोलती हुई लकीरें रफ़्तारें करती है
हाथों की लकीरें आज हजारों की गुफ्तगू बन गई
देखते देखते बढ़ती हुई लकीरें करामातें करती है

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes