...

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पाने की चाहत में, बहुत कुछ खोए हैं हम...
पाने की चाहत में, बहुत कुछ हम खोए हैं हम...
जागे है क्या राते, और रोते भी सोया है हम...
जैसी मिलती है रातों से
सुबह की रोशनी कोई...
जिंदगी ऐसे मुझे
खुदसे मिलाती है...
मेरे हर कदम
पर लिखता है ठोकरे ये...
जिंदगी ऐसे रोज नए
सबक सीखलती है...
कहने को चाहते हैं
कहना बहुत कुछ
पर जज़्बातो पर अब हमारे खामोशी का साया है
सब चाहते हैं कहना
मेरी तरह कुछ
पर कौन है यह जो
वक्त पर कह पाया है
पाने की चाहत में
बहुत कुछ खोए हैं हम....