अजीब...
अजीब दुनिया है !!
राह चलते को रास्ते बताएगा
खुद का ठिकाना पता नहीं
राह चलते को मलहम लगाएंगे
खुद का घाव दिखता नहीं
एक अजनबी के इशारे पे पूरा यकीं करेंगे
ओर कहना है लोगों पे भरोसा नहीं
सच को बार-बार नकारेंगे
ओर कहना है लोग सच्चे नहीं
मुक्कमल करनी है हर ख्वाहिश
ओर कहना है ख्वाहिश हमारे बस में कहां
जज़्बातो की निलामी भी करनी है
ओर कहना है प्रेम हमारी लकीरों में कहां
आख़िर ये कहना क्या...
राह चलते को रास्ते बताएगा
खुद का ठिकाना पता नहीं
राह चलते को मलहम लगाएंगे
खुद का घाव दिखता नहीं
एक अजनबी के इशारे पे पूरा यकीं करेंगे
ओर कहना है लोगों पे भरोसा नहीं
सच को बार-बार नकारेंगे
ओर कहना है लोग सच्चे नहीं
मुक्कमल करनी है हर ख्वाहिश
ओर कहना है ख्वाहिश हमारे बस में कहां
जज़्बातो की निलामी भी करनी है
ओर कहना है प्रेम हमारी लकीरों में कहां
आख़िर ये कहना क्या...