...

2 views

tumhari yaden or main
तुम्हारी यादें और मैं
________
ऋतु मौसी जब अमन के शरारत पे कहती है
 की हां बच्चे शुरुआत में अपने शरारत से नाक में दम ज़रूर कर देते हैं
 लेकिन जैसे - जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं
 उनमें समझदारी और शालीनता आता - जाता है
 इस बात पे मुझे तुम्हारी याद आती है
 मुझे लगता है न अब तुम्हारी यादें भी वक्त के साथ
 समझदार हो गई ,
 अब पहले सा तेरी यादें मुझे परेशान नही करती है
 बल्कि अपने नए अंदाज से मुझे हैरान करती है
 जहां कल तक ये हरदम मुझे सताती रहती थी
 भीड़ में भी तन्हा कर रुलाती रहती थी
 वहीं अब महीनों तक जानें कहां बेखबर रहती है
 पता नही मुझसे दूर किधर रहती है?
 पहले तो हर वक्त मेरे नाक में दम करती रहती थी
 मेरे चेहरे को जर्द, मेरी आंखो को नम करती रहतीं थी
 मैं इससे छुपकर जिधर जाता था ये पहले से मौजूद उधर रहती थी
 मेरी हर सांस - सांस पर इसकी कड़ी नजर रहती थी ...
 कभी जॉन – फ़राज़ की किताबों में बंद तो कभी
 किसी हसीन लड़की की मुस्कुराहटों में चिपकी
 मजाल मेरा इसके सामने एक सेकेंड की भी
  ले सकूं सुकून भरी झपकी
 देर रात तक मुझे जगाती थी
 मेरे अतीत माजी की जबरन पिक्चर मुझे दिखाती थी ।
 लेकिन अब यकीन नही होता इतनी बदल गई है
 शराफत के सांचे में क्या कमाल का ढल गई है ...
 तेरी यादों से रिश्ता फिर भी निभा ही लेता हूं
 किसी शाम फुरसत में तेरी यादों को बुला ही लेता हूं
 ऐसा नही है की मेरे बुलाने पे नही आती है
 आती है लेकिन अब मुझसे थोड़ी शर्माती है
 बुलाते ही बड़े तहजीब के साथ आकर मेरे मन के दहलीज पे
 सर झुकाकर खड़ी हो जाती है
 सच में मुझे नही पता था एक दिन यादें भी बड़ी हो जाती है ....
_Rajeev