किंवदंतियां जो कभी कही नहीं गई
#शहरीकिंवदंती
बनारस के बयार में,
बसता प्रेम इजहार,
ये शहरी किंवदंती,
सुनाते हैं हर बार,
कहते हैं,
एक बार,
रानी रूपमती आई थी यहाँ,
साथ में थे बाज बहादुर,
जिनसे प्रेम उनका महका जहाँ,
सुरों में गूंजता,
यहीं बनारस की इन्हीं गलियों में,
बही थी उनकी इश्क तान,
गंगा की लहरों ने सुनी थी,
उनकी प्रेम गाथान,
पर विधि का लिखा,
कौन...
बनारस के बयार में,
बसता प्रेम इजहार,
ये शहरी किंवदंती,
सुनाते हैं हर बार,
कहते हैं,
एक बार,
रानी रूपमती आई थी यहाँ,
साथ में थे बाज बहादुर,
जिनसे प्रेम उनका महका जहाँ,
सुरों में गूंजता,
यहीं बनारस की इन्हीं गलियों में,
बही थी उनकी इश्क तान,
गंगा की लहरों ने सुनी थी,
उनकी प्रेम गाथान,
पर विधि का लिखा,
कौन...