मेरे सपने
मेरे सपने जिनसे मेरी सारी खुशियाँ हैं
ये प्रकृति मेरी प्यारी दोस्त
इसके हर श्रृंगार को आँखों से देखूँ ये चाहत है
इसके पहाड़ बुलाते
कि छू लूँ उन्हें
जाऊँगी जब उनके पास
बादल भी आयेगा मिलने
उसके कंधों पर बैठ
मैं दूर कहीं उड़ जाऊँगी
चिड़ियों से पूछूँगी
क्या तुम्हें रोकता है कोई
तुम नहीं उड़ो, तुम नहीं उड़ो
मेरे सपनों का वो बंद पिटारा
अब खोल वहीं, सो जाऊँगी
अब उस दुनियाँ में कोई नहीं
जिसका भय मुझे सताएगा
वो दुनियाँ बहुत अनोखी है
जो मेरे सपनों की बस्ती है
बस यही हकीकत करने को
मेरे प्यारे सपनों को
आँखों में सजा के रखा है।