" खुशियों की लहर "
" खुशियों की लहर "
अंधियारों पे रौशनी की मानो परत सी चढ़ रही,
कि खुशियों की लहर उस राह से गुजर रही,
जहाँ फूलों की खुशबू हवाओं में मिल रही,
जहाँ चीनी की मिठास चाय में घुल रही,
जहाँ इंद्रधनुष अपने रंग आसमाँ में बिखेर रहा,
जहाँ बरसात का पानी कागज़ की कश्तियों संग खेल रहा,
जहाँ अंधेरी रात भी जुगनू की रौशनी सी हसीं लग रही,
जहाँ देख तितलियों को मानो मुस्कान हो खिल रही..!!
अंधियारों पे रौशनी की मानो परत सी चढ़ रही,
कि खुशियों की लहर उस राह से गुजर रही,
जहाँ फूलों की खुशबू हवाओं में मिल रही,
जहाँ चीनी की मिठास चाय में घुल रही,
जहाँ इंद्रधनुष अपने रंग आसमाँ में बिखेर रहा,
जहाँ बरसात का पानी कागज़ की कश्तियों संग खेल रहा,
जहाँ अंधेरी रात भी जुगनू की रौशनी सी हसीं लग रही,
जहाँ देख तितलियों को मानो मुस्कान हो खिल रही..!!