स्वार्थ
स्वीकारती हूं
नन्हीं उंगलियां
इसलिये थामी गई
क्योंकि
किसी को
तुम्हारी जीत में
अपना स्वार्थ पूरा होता
दिखाता...
नन्हीं उंगलियां
इसलिये थामी गई
क्योंकि
किसी को
तुम्हारी जीत में
अपना स्वार्थ पूरा होता
दिखाता...