कल्पनाओं से परे एक शहज़ादी चाहता हूँ।
मैंने कब कहा मैं आबादी चाहता हूँ।
मैं सारे जहां की बर्बादी चाहता हूँ।
रख ले समेट दुनिया जहां का दर्द।
सीना ऐसा फौलादी चाहता हूँ।
मैंने कब कहा मैं आबादी चाहता हूँ।
भूल जाऊं मैं भी इश्क़दारी...
मैं सारे जहां की बर्बादी चाहता हूँ।
रख ले समेट दुनिया जहां का दर्द।
सीना ऐसा फौलादी चाहता हूँ।
मैंने कब कहा मैं आबादी चाहता हूँ।
भूल जाऊं मैं भी इश्क़दारी...