"हौसलों की उड़ान"
**"हौसले से उड़ान रख, तू अपने मुक़ाम पर निशान रख।
हर तूफ़ान को पार कर, तू अपने इरादों में जान रख।
सूरज बनकर चमकना है, अंधेरों से न डर, ये तेरा सफ़र।
हर चोट को सहन कर, आगे बढ़, बना खुद को बेहतर।
हार नहीं है अंत कोई, बस एक नई शुरुआत है।
रास्ते खुद...