जाने का ख़्याल
दिल का कोई मर्ज़ तो नहीं पर दिल में दर्द होता है मुझे
रेज़ा रेज़ा हो जाती मैं बिछड़ने भर का सोचूं गर तुम्हें
पल पल ही जैसे ज़िंदगी की शाम...
रेज़ा रेज़ा हो जाती मैं बिछड़ने भर का सोचूं गर तुम्हें
पल पल ही जैसे ज़िंदगी की शाम...